गीता का तीसरा अध्याय दूसरे अध्याय को पूर्ण करता है। जहाँ दूसरे अध्याय में भगवान् ने कर्मयोग से मोक्ष पाने का रास्ता बताया था वहीँ तीसरे अध्याय में कौनसे कर्म करने चाहिए और कर्मयोगी कैसे बना जाये यह बताया है। भगवद्गीता के तीसरे अध्याय कर्म योग में भगवान् श्री कृष्ण अर्जुन को कर्मयोग को विस्तार से समझा कर उत्तम कर्म करके जीवन कैसे बिताया जाए वह समझाते हैं। गर्भावस्था में गीता पाठ करना गर्भवती और संतान के लिए कितना ज्यादा लाभदायक है यह शब्दों में नहीं बताया जा सकता बल्कि सिर्फ इसी बात से जाना जा सकता है कि सदियों से सभी बड़े महापुरष गर्भवती को गीता पड़ने की सलाह अवश्य देते है