गीता का पांचवा अध्याय बहुत ही विलक्षण है क्युकी इसमें भगवन हर इंसान के मन में जो सवाल होते है की कर्म और सन्यास दोनों में से क्या बेहतर है उसी का बहुत सरल शब्दों में उत्तर दे रहे है
गर्भावस्था में गीता पाठ करना गर्भवती
और संतान के लिए कितना ज्यादा लाभदायक है यह शब्दों में नहीं बताया जा सकता बल्कि
सिर्फ इसी बात से जाना जा सकता है कि सदियों से सभी बड़े महापुरष गर्भवती को गीता
पड़ने की सलाह अवश्य देते है